केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा-भारतीय संस्कृति दुनिया से अलग
-गंगधारा कार्यक्रम में आरिफ मोहम्मद खान थे मुख्य वक्ता
-उत्तराखंड के राज्यपाल ने कहा-हम विश्व गुरू जरूर बनेंगे
देहरादून। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को कहा कि युद्ध के इस दौर में दुनिया को देने के लिए शांति का संदेश सिर्फ भारत के पास है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति दुनिया से अलग है और मानव कल्याण के लिए सोचती है। यही वजह है कि भारत ने आज तक किसी देश पर आक्रामण के लिए पहल नहीं की।
दून विश्वविद्यालय में देवभूमि विकास संस्थान के दो दिवसीय गंगधारा-विचारों का अविरल प्रवाह कार्यक्रम के समापन समारोह में केरल के राज्यपाल मुख्य वक्ता थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि दुनिया में आज बहुत तनाव है। युद्ध का दौर है। छोटे से छोटे देश के पास भी परमाणु बम हैं, जो कभी भी तबाही ढा सकते हैं। मानव अधिकार को लेकर संयुक्त राष्ट्र में कानून तो बन गया, लेकिन देशों की आदतें नहीं बदली। इन आदतों में स्वयं के प्रभुत्व को स्थापित करने की प्रवृत्ति है। इन देशों में रंग रूप, भाषा, पूजा-पद्धति के आधार पर मानव को देखा जाता है। इसके विपरीत, भारतीय संस्कृति के मूल में आत्मा है। वह न सिर्फ मानव, बल्कि जीव-जंतुओं की आत्मा के बारे में भी सोचती है। भारतीय संस्कृति में किसी के प्रति हिंसक होने के भाव उत्पन्न ही नहीं हो सकते।
केरल के राज्यपाल ने वेद, पुराणों के श्लोकों और महाभारत-रामायण के कई प्रसंगों को सामने रखते हुए अपनी बात की।
उन्होंने कहा कि भारत के पास यह उदाहरण हैं कि राम का राज्यभिषेक होते-होते ही वनवास हो जाता है। राम इसे सहजता से स्वीकार कर लेते हैं। दुनिया के किसी दूूसरे देश की बात होती, तो लड़ाई हो जाती। उन्होंने कहा कि धर्म की बात बहुत होती है, लेकिन उसे आचरण में लाना आवश्यक है। उन्होंने गंगधारा जैसे आयोजन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रयासों की सराहना की। साथ ही कहा-विचारों का यह प्रवाह समाज और देश के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।
कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने परिसर में लगी स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और स्थानीय उत्पादकों से जानकारी ली।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने अपने संबोधन में कहा कि जिस प्रकार गंगा का प्रवाह अनादिकाल से जीवन का आधार रहा है, उसी प्रकार यह व्याख्यान माला भी ज्ञान और विचारों के प्रवाह को आगे बढ़ाकर सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए नई दिशा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मंथन और संवाद से समाज की चुनौतियों के स्थायी समाधान निकलेंगे, जो राज्य और राष्ट्र के विकास में सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए नागरिकों को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एआई और तकनीकी नवाचारों को अपनाकर हम अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर सकते हैं।
राज्यपाल ने भ्रष्टाचार और नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार हमारी प्रगति और विकास में बाधक है, और इसकी चैन को तोड़ना बेहद जरूरी है। उन्होंने नशे और ड्रग्स के सेवन की चुनौती से भी सामूहिक रूप से लड़ने का आह्वान किया और कहा कि सभी की यह जिम्मेदारी है कि ड्रग्स के खिलाफ एकजुट हो जाएं।
पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवभूमि विकास संस्थान और दून विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस कार्यक्रम को भविष्य में भी जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।
कार्यक्रम में दधीचि देहदान समिति के सदस्यों को उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल ने देह दान अंग दान का संकल्प लेने वाले दानदाताओं को सम्मानित किया।
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति, शिक्षाविद, शोधकर्ता, छात्र और समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।