देहरादून: उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने चिकित्सीय लापरवाही पर वरिष्ठ फिजीशियन डा. अजय शर्मा का लाइसेंस चार माह के लिए सस्पेंड कर दिया है। इसकी वजह से वो अगले चार माह मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।
काउंसिल ने शर्मा सद्भावना मेडिकल सेंटर के संचालकों को यह हिदायत भी दी है कि ऐसे मरीज जिनका उपचार गहन चिकित्सा केंद्र (आइसीयू) में भर्ती कर किया जाना है, उन्हें अपने अस्पताल में तभी उपचार दें जबकि आइसीयू की अलग से सुविधा उपलब्ध हो। या फिर मरीज को भर्ती किए जाने वाले कमरों में आइसीयू के समकक्ष सुविधा उपलब्ध हो।
गौरतलब है कि महादेव एन्क्लेव,हरभजवाला निवासी रक्षिता असवाल ने हरभजवाला निवासी रक्षिता असवाल ने डा. अजय शर्मा के विरुद्ध काउंसिल में शिकायत की थी। शिकायतकर्ता के अनुसार उनकी मां सुनीता दुबे को गत वर्ष 19 सितंबर को उल्टी एवं डायरिया के उपचार के लिए डा. अजय शर्मा के यहां भर्ती किया गया था। चिकित्सीय लापरवाही के कारण उनकी 26 सितंबर को मौत हो गई। बताया कि मरीज को कई दिन से घबराहट व बेचैनी थी। चिकित्सक को बताने पर उन्होंने कहा कि यह सब सामान्य है और जल्दी ही ठीक हो जाएगा। एक रात पहले उनकी मां को एक इंजेक्शन दिया गया, जिससे जटिलताएं और बढ़ गई।
परिजनों ने चिकित्सक से यह अनुरोध किया था कि मरीज को अन्य अस्पताल रेफर कर दें, पर उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि सब बिल्कुल ठीक है । शिकायतकर्ता के अनुसार 15-20 हजार रुपये प्रतिदिन खर्च करने के बावजूद मरीज को सही उपचार नहीं दिया गया। मरीज को पहले से शुगर व ब्लड प्रेशर की समस्या थी, जिसकी दवा चिकित्सक ने बंद करवा दी। उन्हें जिस कमरे में भर्ती किया गया उसमें आक्सीजन सिलेंडर आदि की भी व्यवस्था नहीं थी। डा. अजय शर्मा ने बचाव में अपना लिखित कथन शपथ पत्र के माध्यम से काउंसिल में रखा। साथ ही दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में बेडहेड टिकट, ईसीजी रिपोर्ट, मरीज का मृत्यु प्रमाण पत्र, ब्लड टेस्ट, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व सीटी स्कैन रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत की।
मेडिकल काउंसिल की एथिक्स कमेटी के चेयरमैन डा. अजय खन्ना और सदस्य डा. अंजली नौटियाल व डा. प्रवीन पंवार ने उपलब्ध साक्ष्यों का गहनता से परीक्षण किया। पाया कि डा. मरीज को जिस कमरे में रखकर उपचार दिया गया वह सामान्य कमरा था। जिसमें सामान्य मरीज को ही भर्ती कर उपचार दिया जा सकता था। चिकित्सक ने मरीज की गंभीर स्थिति को ठीक प्रकार से न समझते हुए जिस प्रकार की लापरवाही की है, वह अनुचित थी। उन्हें सजा दिए जाने का पर्याप्त आधार है।