देहरादून। पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत पर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। कुछ समय पहले ईडी ने पूर्व मंत्री हरक सिंह व उनके करीबियों के ठिकानों पर छापा मारा था। बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत की बहू को भी ईडी ने पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है। डा. रावत को ईडी ने समन भेजकर 29 फरवरी को पूछताछ के लिए तलब किया है।
सूत्रों के अनुसार डा हरक सिंह रावत को पूछताछ के लिए देहरादून स्थित ईडी के आफिस में 29 फरवरी को सुबह 11 बजे के बीच बुलाया गया है। ईडी उत्तराखंड से जुड़े वन घोटाला व अन्य प्रॉपर्टी के मामले में पूछताछ कर सकती है। बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत की बहु अनुकृति गोसाईं को भी पूछताछ के लिए समन भेजा गया है। उन्हें 7 मार्च को बुलाया गया है।
कुछ दिन पूर्व ईडी ने डा हरक सिंह की करीबी लक्ष्मी राणा के बैंक लाकर्स भी खंगाले थे। छापे में ईडी को कई सम्पत्तियों के दस्तावेज मिले थे। डा हरक सिंह रावत के कुछ और नजदीकी लोग भी ईडी के रडार पर हैं। 2016 में कांग्रेस तोड़ कर भाजपा में जाने और 2022 में वापस कांग्रेस में आने के बाद डा हरक सिंह रावत ने बहु अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन विधानसभा से चुनाव लड़वाया था।
ईडी ने उत्तराखंड वन विभाग से जुड़े घोटाला मामले में 7 फरवरी को तीन राज्यों में छापेमारी की थी। ईडी ने डा हरक सिंह रावत सहित कई अन्य के खिलाफ सात फरवरी को सुबह एक बड़ी सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई की थी। जिसमें दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़, पंचकूला सहित कुल 16 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को अंजाम दिया था । बताया जा रहा है कि यह मामला डा हरक सिंह रावत के प्रदेश सरकार में वन मंत्री के समय का है।
सरकार ने वर्ष 2019 में पाखरो में टाइगर सफारी निर्माण के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी। साल 2019-20 में पाखरो में करीब 106 हेक्टेयर वन भूमि पर कार्य भी शुरू कर दिया गया था। इस प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान करीब 163 पेड़ काटे जाने की बात कही गई। जबकि जांच में सीबीआई को पता चला कि 163 पेड़ों की कटाई की जगह पर करीब 6,903 पेड़ों को काटा गया। यह मामला नैनीताल हाईकोर्ट में गया और अक्टूबर 2021 में हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। उसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने पिछले वर्ष 2023 में इस मामले में एक एफआईआर दर्ज किया। जिसे बाद में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने अपने हाथ में ले लिया। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इस मामले की जांच शुरू कर दी। इसके बाद वर्ष 2022 के अक्टूबर में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी ने इस मामले में स्वत: संज्ञान ले लिया।