देहरादून। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका सिंह ने महिला आरक्षण अधिनियम को लेकर भाजपा पर जोरदार हमला बोला।
उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस महिलाओं के लिए आरक्षण हेतु बिल लाई तो बीजेपी के तत्कालीन दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेई, यशवंत सिंह और राम जेठमलानी ने उसके विरोध में वोट किया। दिसंबर 1992 में तत्कालीन प्रधान मंत्री पी वी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए।
राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका सिंह का महिला आरक्षण अधिनियम को लेकर वक्तव्य*
1989 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने पंचायतीराज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की शुरुआत की
उन्होंने कहा कि कई राज्यों में, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे के भीतर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की गईं। आज स्व.राजीव गांधी की दूरदृष्टि से भारत में 15 लाख महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है। इनमें लगभग 40 प्रतिशत निर्वाचित महिला प्रतिनिधि शामिल हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जो कि राज्यसभा से पारित हुआ था।
यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी जिसने पहली बार 2011-12 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) की थी। मोदी सरकार ने इनके आंकड़ों को जारी करने से भी इंकार कर दिया है। बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार साढ़े नौ साल तक महिला आरक्षण बिल को पास क्यों नहीं करवा पाई? सरकार अभी भी देर करने के लिए जनगणना और परिसीमन की शर्तें क्यों थोप रही है?