उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य के परिणामों को सुधारने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का महत्वपूर्ण कदम
देहरादून। उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य के परिणामों में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तेजी से कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नेतृत्व USAID के SAMVEG परियोजना और जॉन स्नो इंडिया के सहयोग से एक कार्यशाला आयोजित की गई।
इस कार्यशाला के माध्यम से भारत में पहली बार फ्रीडम कंसोर्टियम ने प्रसवोत्तर रक्तस्राव (PPH) के कारण होने वाली मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सार्वजनिक और निजी हितधारकों को एकजुट किया। यह पहल उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य के परिणामों को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि स्वाति एस. भदौरिया, मिशन निदेशक, एनएचएम उत्तराखंड ने PPH की रोकथाम को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ, महिलाओं को प्रसव के दौरान व्यापक, क्रॉस-सेक्टरल समर्थन प्रदान करने के लिए रणनीतियों को लागू करना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य केवल विचार-विमर्श करना नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और गैर-स्वास्थ्य क्षेत्रों को एकजुट करके प्रसवोत्तर रक्तस्राव से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए ठोस कदम उठाना है।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य के उन्नयन हेतु स्वास्थ्य इकाई के स्तर पर तथा समुदाय स्तर पर विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं ताकि प्रत्येक गर्भवती महिला हेतु बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित हो सके और मातृ मृत्यु में अपेक्षित कमी लाई जा सके।” साथ ही यह कार्यक्रम केवल एक दिवसीय कार्यक्रम ना होकर पूरे वर्षभर इस कार्यक्रम का क्रियानवयन किया जाये।
उत्तराखंड की NMR और IMR राष्ट्रीय औसत से बेहतर- स्वाति एस. भदौरिया
स्वाति एस. भदौरिया, मिशन निदेशक, एनएचएम उत्तराखंड ने कहा यह पहल सभी हितधारकों की इस सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि सुरक्षित प्रसव और बेहतर मातृ स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित किए जा सकें। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एकजुट करके, फ्रीडम कंसोर्टियम का उद्देश्य PPH की रोकथाम के लिए एक सहयोगात्मक और टिकाऊ दृष्टिकोण तैयार करना है और उत्तराखंड में मातृ देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाना है। नवजात और शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उत्तराखंड की NMR और IMR राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। फिर भी राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मातृ स्वास्थ्य में भी समान सुधार हो। हर माँ, चाहे वह कहीं भी हो, को सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाली प्रसव सेवाओं तक पहुंच मिलनी चाहिए।
गर्भवती महिला की मृत्यु निवारणीय कारणों से ना हो- डॉ. मनु जैन
निदेशक, एनएचएम उत्तराखंड डॉ. मनु जैन ने मातृ स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया और सभी हितधारकों की साझा जिम्मेदारी को रेखांकित किया कि किसी भी गर्भवती महिला की मृत्यु निवारणीय कारणों से ना हो। एनएचएम नेतृत्व ने नवजात मृत्यु दर (NMR) को 17 और शिशु मृत्यु दर (IMR) को 24 तक कम करने में राज्य की उपलब्धियों की सराहना की, जो कि राष्ट्रीय औसत NMR 20 और IMR 28 से बेहतर हैं। हालांकि, यह भी बताया गया कि शिशु और नवजात स्वास्थ्य में प्रगति के बावजूद, मातृ स्वास्थ्य में भी समान सुधार की आवश्यकता है ताकि राज्य की माताओं की भलाई सुनिश्चित की जा सके।
यह अभिनव उपकरण गर्भवती महिलाओं को प्रसव केंद्रों, रक्त बैंकों और बर्थ वेटिंग होम्स से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि उनकी प्रसव तैयारी को बेहतर बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, AIIMS ऋषिकेश, विभिन्न निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों, FOGSI, WECD, PRI और प्रमुख राष्ट्रीय और राज्य विकास भागीदारों के चिकित्सा पेशेवरों ने उत्तराखंड में PPH की रोकथाम के लिए एक मजबूत कार्य योजना बनाने में सहयोग किया। डॉ. अशोक देवरारी, प्रधान डीन, HIMS देहरादून और डॉ. लतिका चौला, अतिरिक्त प्रोफेसर, OBGY AIIMS ऋषिकेश विशेषज्ञों ने प्रस्तुति दी।