*37 चिकित्सालयों में उपलब्ध सहायक प्रजनन तकनीकी सेवा*
*निःसंतान दम्पतियों के लिये मददगार साबित हो रही तकनीक*
देहरादून। बच्चे की चाहत रखने वाले दम्पत्तियों, एकल व अविवाहित महिलाओं के लिये सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (एआरटी) फायदेमंद साबित हो रही है। प्रदेश में अब तक एआरटी अधिनियम तथा सरोगेसी एक्ट के तहत 10823 दम्पतियों ने गर्भधारण से संबंधित उपचार का लाभ उठाया है।
एआरटी तकनीकी सेवाएं प्रदेशभर के 37 चिकित्सालयों में मुहैया कराई जा रही है, जहां पर निःसंतान दंपति इस तकनीकी के माध्यम से गर्भधारण संबंधी उपचार ले रहे हैं।
सूबे में एआरटी अधिनियम तथा सरोगेसी एक्ट के ठोस क्रियान्वयन से निःसंतान दम्पतियों को भविष्य का आसरा मिला है। वर्ष 2022 में एआरटी का लाभ उठाने वाले दम्पतियों की संख्या 3492 थी, वर्ष 2023 में 4198 तथा वर्तमान वर्ष में अब तक 3133 दम्पतियों ने एआरटी का लाभ लिया है। विगत तीन वर्षों में एआरटी तकनीकी का सर्वाधिक लाभ 3620 दम्पतियों ने इंदिरा आईवीएफ में लिया।
इसके अलावा नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी में 1014, केयर आईवीएफ यूनिट 735, आशीर्वाद हेल्थकेयर एवं फर्टिलिटी सेंटर 626, श्री महंत इंद्रेश हॉस्पिटल आईवीएफ सेंटर 603, फुटेला फर्टिलिटी सेंटर 513, जेनेसिस आईवीएफ 459, एम्स ऋषिकेश 399, सुभारती हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर 341, वृंदा फेमिकेयर फर्टिलिटी एलएलपी 318, द मेडिसिटी 310, उत्तरांचल टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर 300 तथा निदान फर्टिलिटी क्लीनिक में 183 दम्पतियों ने एआरटी का लाभ लिया है। इसके साथ 1402 दम्पतियों ने प्रदेश के अन्य चिकित्सालयों में एआरटी तकनीक सेवाओं से गर्भधारण से संबंधित उपचार लिया।
वर्ष 2021 में देश के साथ-साथ प्रदेश में एआरटी व सरोगेसी एक्ट लागू होने के उपरांत प्रदेश में एआरटी अधिनियम तथा सरोगेसी एक्ट के तहत 37 चिकित्सालयों का पंजीकरण हुआ है। जिसमें लेवल-01 स्तर के 4 एआरटी क्लीनिक, लेवल-02 स्तर के 22 एआरटी क्लीनिक, 10 एआरटी बैंक तथा 01 सरोगेसी क्लिनिक शामिल हैं।
राज्य में निःसंतान दम्पति सरोगेसी व एआरटी एक्ट का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। राज्य सरकार की कोशिश है कि निसंतान दम्पतियों को एआरटी और सरोगेसी का लाभ अधिक से अधिक मिले।- *डा. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड सरकार।*