रामसेतु में गिलहरी के योगदान की भावना के अनुरूप ही हमें चलना है तभी हमारे संकल्प पूरे होंगे: त्रिवेंद्र
पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रेरणा से ऐतिहासिक सीतामाता परिपथ (सर्किट) 03 दिवसीय पदयात्रा का 24 नवम्बर को सफलतपूर्वक समापन हुआ।
यात्रा से पूर्व पूर्व सीएम ने 21 तारीख को कोटद्वार स्थित सिद्धबली में बजरंगबली की पूजा अर्चना की और इस ऐतिहासिक यात्रा की कुशलता के लिए संकटमोचन हनुमान जी ने आशीर्वाद लिया। पूर्व सीएम ने संकटमोचन बजरंगबली से उत्तरकाशी, सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के सकुशल बाहर आने के लिए भी प्रार्थना की। यहाँ से हनुमान जी की आज्ञा लेने के बाद 22 की सुबह संगम नगरी देवप्रयाग में पूर्व सीएम ने मां गंगा और भगवान रघुनाथ जी की पूजा अर्चना की तथा उनका आशीर्वाद लेकर के सीतामाता सर्किट पदयात्रा के अपने प्रथम दिवस के लिए प्रस्थान किया। पदयात्रा में सियाराम के नाम की गुंज निरंतर गूंजती रही। पदयात्रा रघुनाथ मंदिर से होते हुए विदाकोटी- सीताकोटी और पहले पढ़ाव मुछियाली में ठहरी। सीतामाता सर्किट पदयात्रा के द्वितीय दिवस यानी 23 नवम्बर को सीतामाता मंदिर, मुछियाली में पूर्व सीएम ने भक्तजनों के साथ पूजा अर्चना कर माता सीता का आशीर्वाद लेकर कर लक्ष्मण मंदिर देवल के लिए प्रस्थान किया। अपने द्वितीय पढ़ाव पर देवल स्थित प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर पहुँचने पर उत्साहित ग्रामीणों द्वारा यात्रा में शामिल भक्तजनों का जोरदार स्वागत किया गया। पदयात्रा के अंतिम दिवस यानी 24 नवम्बर को पूर्व सीएम ने भक्तजनों के साथ मिलकर लक्ष्मण मंदिर, देवल में दर्शन एवं पूजा अर्चना की। इसके बाद श्री लक्ष्मण जी का आशीर्वाद लेकर बाल्मिकी मंदिर कोटसाड़ा से मंसार मेला व सीतामाता समाधि स्थल फलस्वाड़ी के लिए प्रस्थान किया। पदयात्रा के दौरान जिन जिन मंदिरों में पूजा अर्चना की गई सभी में उत्तरकाशी, सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के सकुशल बाहर आने के लिए भी प्रार्थना की। जैसे ही यात्रा मंसार मेला व सीतामाता समाधि स्थल फलस्वाड़ी पहुंची सभी ने जोरों सोरों से बड़े ही उत्साह और सिया राम के नोरों से स्वागत किया। हजारों लोग इस पदयात्रा के साक्षी बने। पदयात्रा जहाँ जहाँ से होकर गुजरी ग्रामीणों ने सियाराम के नारों से भक्तजनों का उत्साह बढ़ाया और यात्रा के सहभागी बने। हर ओर भक्ति की गंगा बह रही थी।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा की जिस प्रकार से रामसेतु को बनाने के लिए गिलहरी ने भी अपना योगदान दिया ठीक उसी प्रकार सीतामता सर्किट पदयात्रा में हर व्यक्ति सहयोगी बना, किसी ने भोजन करवाया, किसी ने पानी पिलवाया किसी ने रात्रि में सोने की व्यवस्था और किसी ने सियाराम ने नारों से पदयात्रा में जोश बढ़ाया। पूर्व सीएम ने कहा कि जटायु ने माता सीता की सुरक्षा कर नारी सुरक्षा का पूरे जगत के लिए एक उदाहरण पेश किया था। तो सीतामाता समाधि स्थल फलस्वाड़ी में जटायु का भी मंदिर बनाने के लिए समिति काम करेगी। उन्होंने कहा कि रामसेतु में गिलहरी के योगदान की भावना के अनुरूप ही हमें चलना है तभी हमारे संकल्प पूरे होंगे, पूर्व सीएम ने सीता माता मंदिर को बनाने के लिए हर घर से एक पत्थर और मिट्ठी को लाने का विशेष आह्वान किया। पूर्व सीएम ने इस ऐतिहासिक यात्रा में सहभागी बने, सहयोगी बने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।