राष्ट्रीय स्तर पर अमान्य आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सक के रूप में हैं पंजीकृत कोर्स को उत्तराखंड में कर दिया था मान्य
देहरादून: भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में अमान्य डिप्लोमाधारकों के रजिस्ट्रेशन पर उत्तराखंड सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है।
आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सक के रूप में रजिस्टर्ड करीब 450 डिप्लोमाधारियों का रजिस्ट्रेशन रद करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। सरकार के इस फैसले के बाद अब ऐसे प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे।
गौरतलब है कि भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड ने डिप्लोमा इन आयुर्वेद और डिप्लोमा इन यूनानी करने वालों का बड़ी संख्या में रजिस्टर्ड किया है। यह कोर्स राष्ट्रीय स्तर पर अमान्य है, लेकिन उत्तराखंड में इसे मान्य कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश शासन ने इन डिप्लोमा देने वाली संस्थाओं को पूर्णत: फर्जी बताया है।
वास्तव में उ.प्र. के समय के कुछ डिप्लोमाधारियों को आधार बनाकर सरकार के एक पुराने शासनादेश के तहत ऐसा किया गया। राज्य के कई चिकित्सक परिषद के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। साथ ही कई चिकित्सकों ने राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग में भी शिकायत की थी। जिस पर चिकित्सा पद्धति आयोग ने शासन को गैर मान्यता प्राप्त डिप्लोमाधारी व्यक्तियों का पंजीकरण निरस्त करने को पत्र भेजा था। इसके बाद अब अपर सचिव आयुष डा. विजय कुमार जोगदंडे की ओर से इस संदर्भ में आदेश जारी किए गए हैं।