ऋषिकेश। रविवार को आईडीपीएल मैदान से लेकर त्रिवेणी घाट तक सशक्त भू कानून की मांग को लेकर भू कानून स्वाभिमान रैली की शक्ल में सैलाब उमड़ पड़ा। इसके बाद हुई जनसभा में भू कानून से लेकर अंकिता हत्याकांड कई पुराने मुद्दों को भी उठाया गया।
भू कानून स्वाभिमान रैली में युवा नेता मोहित डिमरी, लुसून टोड़रिया और अन्य सदस्यों ने तीर्थ नगरी ऋषिकेश में हलचल मचा दी। उनकी मांग थी कि उत्तराखंड में वर्ष 1950 से मूल निवास और सशक्त भू कानून लागू किया जाए। यहां के जल, जंगल, जमीन के बुनियादी सवालों को भी रैली में मजबूती से उठाया गया। राज्य में नशे की बिक्री पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग पर जोर दिया गया है। इन्हीं मांगों को लेकर आज ऋषिकेश के आईडीपीएल हॉकी मैदान में हजारों लोग जमा हुए। रैली में महिलाओं की संख्या अप्रत्याशित रूप से ज्यादा थी। उससे एक बार फिर रेखांकित हो गया कि प्रदेश में फिर 1994 का वो दौर शुरू होने वाला है जब हाथ में दरांती लेकर पहाड़ की महिलाएं उत्तराखंड आंदोलन में कूद पड़ी थी।
आईडीपीएल के मैदान से करीब 12 किमी मार्च करते हुए लोग जब त्रिवेणी घाट पहुंचे तो कुछ ही देर में एक के बाद एक जत्थे त्रिवेणी घाट पहुंचे। हजारों हजार लोग हुंकार भरने लगे। जो मुद्दे राज्य स्थापना के समय तय हो जाने चाहिए थे। वे अब सतह पर उभर गए हैं।
युवा नेता मोहित डिमरी ने लोगों से सवाल किया कि क्या आपको मंजूर है कि हमारी जमीन पर बने एम्स में बाहरी लोगों को नौकरियां दी जा रही हैं और पहाड़ के नौजवान मुंह ताकते रह गए हैं। अंकिता हत्याकांड के सबब बने उस वीआईपी का खुलासा करने पर भी जोर दिया गया। इसी मुद्दे को उठाते हुए मोहित ने कहा – अंकिता की हत्या का सबब बना वीआईपी है कौन? इस मुद्दे पर सीएम धामी क्यों हैं मौन? एक तरह से दफनाए जा चुके इस मुद्दे को पहाड़ की अस्मिता से जोड़ कर मोहित ने संदेश देने की कोशिश की है कि बहुत हो चुका, अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मोहित ने सुरेंद्र नेगी की सरेराह पिटाई, शराब माफिया द्वारा योगेश डिमरी की पिटाई का मुद्दा भी उठाया। भीड़ से आवाज उठी कि अब अत्याचार नहीं सहेंगे।
रैली की विशेषता यह रही कि ज्यादातर महिलाएं उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा में प्रदर्शन और नारेबाजी करती हुई दिखाई दीं। त्रिवेणी घाट पर लोगों ने पवित्र गंगा जल हाथ में लेकर अपनी मांगों के संबंध में लड़ाई जारी रखने का संकल्प भी लिया। रैली में उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों के पहनावे और लोक संस्कृति के रंग भी खूब दिखे। स्वाभिमान महारैली में आई समाजसेवी कुसुम जोशी ने बातचीत के दौरान कहा कि जिन तीन मांगों को लेकर लगातार उत्तराखंड के लोग आवाज बुलंद कर रहे हैं, वो यहां के अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा के लिए नितांत जायज मांगे हैं, लेकिन सरकार उन पर ध्यान देने को तैयार नहीं है।
उनका कहना था कि ये सवाल राज्य स्थापना के समय ही सुलझा लिए जाने थे लेकिन राष्ट्रीय दलों ने अपने एजेंडे के चलते इन बुनियादी सवालों को उलझाए रखा। इसी का नतीजा है कि प्रदेश की अस्मिता के लिए संवेदनशील युवा राज्य के विभिन्न शहरों में स्वाभिमान महारैली का आयोजन करते आ रहे हैं।
रैली में शामिल मनोज गुसाईं ने कहा कि वर्ष 1950 से मूल निवास देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। उत्तराखंड के जल-जमीन-जंगलों को बचाने के लिए सशक्त भू कानून बनाने की मांग भी लगातार जारी है। राज्य में लगातार बढ़ रही नशे के प्रवृत्ति से युवा वर्ग बर्बाद हो रहा है। सरकार से इन तीनों मांगों को पूरा करने के लिए उसका ध्यान आकृष्ट किया जा रहा है।