देहरादून। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने पार्टी कार्यकर्ताओं की मन की बात कहकर खूब तालियां बटोरी। साथ ही नेतृत्व के फैसलों पर भी सवाल खड़क किए।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में तीरथ सिंह रावत के खुलकर बोला। तीरथ ने जमीनीं कार्यकर्ताओंको नजरअंदाज कर पार्टी नेतृत्व के चुनाव में थोपे गए नेताओं के मुद्दे सटीक बात रखी।
पूर्व सीएम तीरथ ने साफ शब्दों में कह दिया कि थोपने का काम मत करो। सभी से बात कर व सलाह मशविरा के बाद ही फैसले होने चाहिए। पूर्व सीएम के स्पष्ट बोल से हाल में तालियां बज उठीं।
उन्होंने यह कहकर बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव में हार की सपाट समीक्षा भी कर दी। इससे लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के दर्द भी उनके इस वक्तव्य से उभरा। तीरथ की जगह अनिल बलूनी को टिकट दिया गया था।
तीरथ यहीं तक नहीं रुके। नेता थोपने के सवाल पर पूर्व सीएम ने कहा कि अब जनता आगे आ गयी है। जबकि नेता पीछे हो गए हैं। फिर कहते हैं- भाजपा नेता आधारित नहीं कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। कार्यकर्ता मेहनत कर रहा है। कहते हैं जमीन मत छोड़ो।
मौजूदा भाजपा की अंदरूनी राजनीति को उकेरते हुए यह कहने से नहीं चूके कि जो आज कुर्सी पर हैं कल नहीं रहेंगे। जो कल आगे थे आज पीछे बैठे हुए हैं। और जो पीछे थे वो आज आगे हैं..
लिहाजा, कार्यकर्ता की बात सुनी जानी चाहिए।
सीएम धामी से अपने सम्बन्धों का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि जब वो यूपी में एमएलसी चुने गए थे तब पुष्कर धामी कानून की पढ़ाई (लखनऊ विवि) कर रहे थे। इनके सँघर्ष को वे बखूबी जानते हैं।
उन्होंने कहा कि पुष्कर जब सीएम बने तो उन्होंने कहा था कि 6-“7 महीनों के लिए सीएम नहीं बने हो। बल्कि 15 साल के लिए कार्य करो।और पुष्कर दोबारा सरकार लाकर पुराने मिथक को तोड़ गए।
पूर्व सीएम ने संकेतों में सब कुछ कहकर लोकसभा चुनाव में अपना टिकट कटने और दोनों उपचुनाव में पार्टी की परफॉर्मेंस पर भी सवालिया निशान लगा दिया। भाजपा की किसी बड़ी बैठक में प्रमुख नेता के दिल से निकली यह आवाज पुराने व निष्ठावान भाजपा कार्यकर्ताओं को नयी ऊर्जा दे गई।