देहरादून। देहरादून नेशनल अकेडमी आफ डिफेंस के नए कैंपस का उद्घाटन उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा किया। इस अवसर पर पूर्व सीएम ने वहां मौजूद छात्रों,उनके अभिभावकों एवं महानुभावों को सैनिकों के साथ बिताए अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने जनरल बिपिन रावत जी के अनमोल शब्दों को साझा किया जिसमें उनके द्वारा कहा गया था कि ‘भारतीय सेना केवल नौकरी का साधन नहीं, उससे कहीं बढ़कर है’।
उन्होंने वहाँ मौजूद छात्रों को इन शब्दों को आत्मसात करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने समय-समय पर देशभक्ति का परिचय दिया है। शरहद पर शहीद होने वाला हर वीर देश की एकता का संदेश देता है। उनका जोश और जूनून ही इस राष्ट्र को सुरक्षित रखता है, मजबूत करता है। उन्होंने अकादमी को इस नेक प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ एवं छात्रों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।
बता दें कि देहरादून नेशनल एकेडमी ऑफ़ डिफेंस पिछले 5 वर्षों से रक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहा है जिसमें उच्च गुणवत्ता के गणित के शिक्षक मनोज कुमार जो कि दिल्ली के तमाम बड़े अकादमी में अपनी सेवाओं को दे चुके हैं, एवं एस एस बी और अंग्रेज़ी विषय की प्रवक्ता श्रीमती मोनिका गुरूंग जैसे शिक्षक युवाओं को शिक्षित करेंगे। डीएनए डिफेंस की शुरुआत दर्शन सिंह रावत जो कि जनरल स्टडीज एवं कैमिस्ट्री के प्रवक्ता हैं, द्वारा 2018 में की गई थी। दर्शन रावत सिविल सर्विस की नौकरी को छोड़कर रक्षा क्षेत्र में सैनिकों को पिछले 5 वर्षों से तैयार कर रहे हैं और प्रशिक्षण के लिए हर साल कई गरीब बच्चों को बहुत कम फीस में प्रशिक्षण दे रहे हैं। डीएनए डिफेंस की शुरुआत ग्रामीण क्षेत्र में इसलिए की गई क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में बहुत से होनहार छात्र महंगी फीस के कारण अपनी योग्यता एवं हुनर की पहचान ही नहीं कर पाते हैं।
डीएनए डिफेंस सभी बच्चों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देकर उनको भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित करेगा एवं शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार करके रक्षा सेवाओं की परीक्षाओं के लिए पास करने एवं एसएसबी इंटरव्यू आदि में सफल होने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
उद्घाटन समारोह में रक्षा क्षेत्र के रिटायर्ड कर्नल सुनील कोटनाला जी लेफ्टिनेंट कर्नल यशवीर पंवार, ड्राइवर के ब्लॉक प्रमुख भगवान सिंह पोखरियाल,विनय कांडपाल देवेंद्र सिंह नेगी राजेंद्र गोयल एवं सरकारी अधिकारी सेवा के विभिन्न पदों पर कार्यरत सैनिक एवं शिक्षाविद सम्मिलित रहे।