“मानसिक शोषण से त्रस्त मेरे पति के साथ कोई अनहोनी हुई तो जिम्मेदार आयोग और सरकार होगी”
देहरादून। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग चम्पावत में वरिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा के पारिवारिक सदस्यों ने उत्तराखंड प्रेस क्लब में सरकार और आयोग की हठधर्मिता और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठायी है। लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा की पत्नि प्रभा बहुगुणा ने कहा कि उनके द्वारा माननीय लोक सेवा अधिकरण उत्तराखण्ड़ नैनीताल में दायर क्लेम पिटिशन सं 005/NB/2019 लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा बनाम उत्तराखण्ड राज्य व अन्य में पारित निर्णय दि. 23 सितम्बर 2021 के अनुसार अनुमन्य लाम दिए जाने के सम्बन्ध में आयोग के रजिस्ट्रार से कई बार अनुरोध किया, लेकिन आश्वासन के बावजूद आयोग के रजिस्ट्रार टाल मटोल का रवैया अपना कर मेरे पति का मानसिक शोषण कर रहे हैं।
पत्रकारों से रूबरू होते हुये लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा की पत्नी प्रभा बहुगुणा ने कहा कि मेरे पति की नियुक्ति जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल के आदेशानुसार जून 1994 में जिला उपभोक्ता फोरम टिहरी गढ़वाल नई टिहरी में रीडर के पद पर तदर्थ रुप में हुई है और सहायक खाद्य आयुक्त, गढ़वाल मण्डल पौड़ी द्वारा जुलाई 1997 में उनका स्थानान्तरण स्वेच्छा से जनपद टिहरी गढ़वाल से देहरादून को किया गया।
इस दौरान उनके विरूद्ध जून 2006 में एक बेनामी फर्जी शिकायत हुई, जिसका संज्ञान लेते हुए निबन्धक राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में एक तरफा कार्यवाही करते हुए श्री बहुगुणा का ग्रेड पे जो 4800/- रू. देय हो रहा था, उसे मनमाने तरीके से कम करके रू. 4000/- कर उस पर अन्य भत्तों सहित निर्धारित कर दिया गया।
पत्रकारों से बातचीत करते प्रभा बहुगुणा ने कहा कि जब उनके पति का वेतन कम कर दिया गया तो उनके द्वारा निबन्धक महोदय को अपने पक्ष में कई प्रमाण के साथ कई प्रत्यावेदन दिए किन्तु कोई कार्यवाही नही हुई। उन्हें बताया गया कि श्री बहुगुणा का विनियमितिकरण न होने से मूल वेतन कम किया गया। शासन स्तर पर पत्राचार करके तब उनके विनियमितिकरण सम्बन्धी कार्यवाही नहीं हुई। ट्रिब्यूनल में भी याचिका दायर की करने के बाद वर्ष 2018 में श्री बहुगुणा का विनियमितिकरण हुआ। इस दौरान श्री बहुगुणा जनपद चम्पावत में कार्यरत रहे है, और अब तक हैं।
उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके पति लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा ने अपने विनियमितिकरण होने पर अपने अनुमन्य लाभ प्राप्त करने हेतु एक क्लेम पिटिशन याचिका माननीय लोक सेवा अधिकरण नैनीताल में दायर की, जिसका निर्णय दि. 23 सितम्बर 2021 को श्री बहुगुणा के पक्ष में हुआ। किन्तु विभाग द्वारा अब तक कोई भी यथोचित कार्यवाही के आदेश पारित नहीं किए गए हैं जबकि बहुगुणा द्वारा विभाग को अनुस्मारक पत्र भेजा गया। टेलीफोन वार्ता से भी कई बार सम्पर्क किया गया। स्वयं मेरे द्वारा आर.टी.आई. से सूचना मांगी गई। उसमें बताया गया कि कार्यवाही गतिमान है। आज तीन साल बाद भी लोक सेवा अधिकरण के आदेश पर भी आयोग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।
श्रीमती प्रभा बहुगुणा ने कहा कि इस सम्बन्ध में वह प्रदेश मुख्यमंत्री को पत्र भी भेज चुके हैं। उसकी प्रतिलिपि अध्यक्ष व निबन्धक राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग को भी भेजी गयी। किन्तु अभी तक कार्यवाही शून्य रही है। जबकि क्लेम पिटिशन का निर्णय मेरे पति लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा के पक्ष में हुआ है, उन्हें सेवा में वरिष्ठता पदोन्नति, वेतन निर्धारण एवं एरियर आदि का लाभ दिया जाना है, लेकिन विभाग द्वारा अब तक कोई भी यथोचित कार्यवाही नही की गई है, जिस कारण उनके पति बहुत परेशान हैं, उनके मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, वह डिप्रेशन में हैं तथा उनका स्वास्थ्य दिन प्रति दिन खराब हो रहा है, ऐसी स्थिति में यदि मेरे पति के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेदारी सम्बन्धित विभाग को होगी।
पत्रकार वार्ता में मौजूद कमलेश बलूनी ने कहा कि आयोग ने नियमों के ताक पर रखकर संविदा पर तैनात 17 कर्मचारियों को नियमित कर दिया। जबकि जब संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमित किया गया। वह विनियमितीकरण एक्ट के खिलाफ था। लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा के पक्ष में ट्रिब्यूनल द्वारा निर्णय में साफ कहा गया है कि उन्हें वरिष्ठता के साथ ही वेतन निर्धारण और एरियर का लाभ भी दिया जाए। बहुगुणा आयोग में संविदा से नियमित हुए इन सभी कर्मचारियों से वरिष्ठ हैं। लेकिन आयोग ट्रिब्यूनल के आदेश की भी अवहेलना कर रहा है। उनकी मुख्यमंत्री से गुजारिश है कि आयोग के मनमाने और कर्मचारी के उत्पीड़न व मानसिक शोषण के रवैये का संज्ञान लेते हुए लक्ष्मी प्रसाद बहुगुणा के साथ न्याय किया जाए।
पत्रकार वार्ता में देवेन्द्र बहुगुणा, कमलेश बलूनी, उर्मिला शर्मा, पद्मा बलूनी एवं अंजना बहुगुणा आदि मौजूद रहे |