देहरादून। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि आपरेशन मुक्ति के संबंध में आम जनता को जागरुक किया जाना जरुरी है। पुलिस का यह अभियान भिक्षा नहीं शिक्षा की ओर अग्रसर है। हर हाथ में हो किताब इस उद्देश्य के साथ ही पुलिस विभाग अन्य संस्थाओं के सहयोग से आपरेशन मुक्ति अभियान को चला रही है। बच्चों को बचपन देना बहुत जरुरी है।
पुलिस लाइन देहरादून में कार्यक्रम में बोलते हुए डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि बच्चों को भिक्षा देकर हम उनकी मदद नहीं करते, बल्कि उन्हें भिक्षावृत्ति की ओर धकेल रहे हैं, जिसके दूरगामी परिणाम समाज के हित में नहीं हैं। ड्रॉपआउट की समस्या पर उन्होंने ऑपरेशन मुक्ति टीम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चों की स्कूली शिक्षा दीक्षा एवं कल्याण के लिए प्रचलित सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर बच्चों को उनसे भी लाभान्वित करने का प्रयास करें। वर्ष 2017 से प्रारम्भ किये गये इस अभियान में अभी तक 3603 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया गया है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि ऑपरेशन मुक्ति अभियान में पुलिस कर्मियों की विशेष कार्ययोजना से मिले सकारात्मक परिणाम हम सबके सामने हैं।
इससे पूर्व कार्यक्रम के दौरान पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड द्वारा अभियान के अन्तर्गत विद्यालयों में दाखिला कराये गये बच्चों को आवश्यक पाठन सामग्री वितरित की गयी। कार्यक्रम में राजकीय प्राथमिक विद्यालय शिवनगर सेलाकुई, राजकीय प्राथमिक विद्यालय रायपुर, प्राथमिक स्कूल रानीपोखरी एवं खुड़बुड़ा के बच्चों द्वारा मनमोहक कविता का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस अवसर पर अभियान में सहयोग करने वाले आरोग्यधाम अस्पताल के डॉ विपुल कंडवाल, आदित्य बिड़ला के जोनल हेड डॉ0 अभिषेक कपूर, एस0डी0एफ0सी0 के सर्किल हेड डॉ बकूल सिक्का, एडिटर श्री मोहम्मद सलीम सैफी, रिटायर्ड बैंक मैनेजर श्री एस0पी0 जयसवाल, बचपन बचाव आन्दोलन से सुरेश उनियाल, रिटार्ड साईन्टिस्ट डॉ टी0एन0 जौहर को पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड द्वारा सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम मे श्री ए0पी0 अंशुमान (अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था), श्री करन सिंह नगन्याल (पुलिस महानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र), श्री अजय सिंह, (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून) सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
अभियान की थीम-’’भिक्षा नहीं, शिक्षा दें’’ व “Support to educate a child”
अभियान का स्थान– अभियान समस्त जनपद के मुख्य-मुख्य स्थान जहां बच्चों द्वारा द्वारा भिक्षावृत्ति की जाती है, पर चलाया जाता है।
अभियान का उद्देश्यः– भिक्षावृत्ति, बालश्रम, बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर प्रभावी रोकथाम करना, बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में जनता को जागरूक करना तथा भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा हेतु प्रेरित करना व उनके पुनर्वास हेतु नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करना।
अभियान की टीमः– जनपद देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल में चार टीम (उपनिरीक्षक-1, आरक्षी-4), (04 टीमों में से 01 टीम एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की)। शेष जनपदों में एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम द्वारा उक्त अभियान को चलाया गया। रेलवेज में भी एक टीम (उपनिरीक्षक-1, आरक्षी-4) का गठन किया गया। प्रत्येक टीमों की सहायता हेतु 01-01 विधिक (अभियोजन अधिकारी) एवं टेक्निकल टीम (डी0सी0आर0बी0)
अभियान तीन चरणों में सम्पादित किया गया हैः-
प्रथम चरणः- (Observation Period) भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों व उनके परिवारों का पूर्ण विवरण संलग्न प्रारूप में तैयार करना तथा ऐसे बच्चे जिनका विद्यालयों/डे केयर में दाखिला किया जाना है, का चिन्हिकरण करना।
द्वितिय चरणः- (Awareness/Enforcement Period) समस्त स्कूल-कॉलेजों, सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण चौराहों, सिनेमाघरों, बस व रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों आदि स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में बैनर, पोस्टर, पम्पलेट, नुक्कड़ नाटक, लाउड स्पीकर Short Movie सोशल मीडिया आदि के माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाकर जनता को जागरूक करना।
तृतीय चरणः-(Enforcement/Rehab Period) भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनके तथा उनके माता-पिता की कॉउन्सलिंग कर बच्चों को शिक्षा प्रदान करने तथा उनके माता-पिता को रोजगार दिलाने का प्रयास करना। बच्चों के पुनः भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर उनके माता/पिता के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कर कार्यवाही करना तथा किसी भी प्रकार का संदेह होने पर डी0एन0ए0 टेस्ट की कार्यवाही करना।