माता सीता के समाधि स्थल फलस्वाड़ी गांव में 24 नवंवर को समाप्त होगी यात्रा
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी जिले में स्थित सीता माता सर्किट के लिए 22 नवंबर से 12 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। माता सीता के समाधि स्थल फलस्वाड़ी गांव में यह यात्रा 24 नवंबर को समाप्त होगी। इस यात्रा में आसपास के गांवों के हजारों लोग शामिल होंगे।
अपने मुख्यमंत्रित्व काल में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फलस्वाड़ी गांव में स्थित सीता माता के समाधि स्थल के समीप एक भव्य मंदिर के निर्माण की घोषणा की थी। साथ ही सीता माता सर्किट को विश्व मानचित्र पर प्रसिद्धी दिलाने के लिए कई कदम उठाए थे। सीता माता सर्किट की प्रसिद्धि और इसे यात्रा मार्ग से जोड़ने के लिए क्षेत्र के लोगों के अनुरोध पर फिर से जनजागरण के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत आसपास के गांवों के लोगों को साथ लेकर करीब 12 किलोमीटर की यात्रा करेंगे।
मान्यताओं में यह कहा जाता है कि माता सीता ने उत्तराखंड के फलस्वाड़ी गांव में समाधि ली थी। फलस्वाड़ी गांव में रहने वाले लोगों का मानना है कि जब भगवान राम ने मां सीता का त्याग किया था, तो माता ने यहीं भू समाधी ले ली। यहां पहले एक मंदिर था जो धरती में समा गया था। हर साल इसी समाधि स्थल पर एक बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि प्रस्तावित सीता माता सर्किट, पौड़ी के विकास में भी मील का पत्थर साबित होगा। इस सर्किट के विकास के बाद भगवान राम और माता सीता में आस्था रखने वाला दुनिया का हर व्यक्ति फलस्वाड़ी गांव में जरूर आना चाहेगा। फलस्वाड़ी में माता सीता का भव्य मंदिर बनाने के लिए क्षेत्र के हर गांव के हर घर से एक शिला, एक मुट्ठी मिट्टी और 11 रुपये दान में लेने की भी उनकी कार्ययोजना थी। जिससे सभी के सहयोग से माता सीता का भव्य मंदिर बन सके। मुख्यमंत्री रहते हुए ही त्रिवेंद्र ने इसके लिए पदयात्रा निकालने का भी संकल्प लिया था। उन्होंने इस यात्रा में संत-महात्माओं के भी शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है।
अब त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही मुख्यमंत्री पद से हट गए हैं, लेकिन माता सीता सर्किट के लिए उनकी आस्था, संकल्प और इच्छा शक्ति आज उसी तरह से दृढ है। इसी संकल्प के साथ पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत 22 नवंबर को देवप्रयाग में स्थित रघुनाथ मंदिर से 12 किलोमीटर की सीता माता सर्किट की यात्रा शुरू करेंगे।
पहले दिन 22 नवंबर को सुबह देवप्रयाग संगम में स्नान और पूजा अर्चना करेंगे। फिर रघुनाथ मंदिर में दर्शन और पूजा के बाद यात्रा शुरू करेंगे। यह यात्रा बाह बाजार विदाकोटी, नागमंदिर सीतासैंण होते हुए राजकीय इंटर कालेज माता चौरी पहुंचेगी। मुछियाली में रात्रि विश्राम करेंगे। 23 नवंबर को सुबह सीता माता मंदिर मुछियाली में पूजा अर्चना के बाद वाया विदाकोटी मुछियाली से धराकोट, जामलाखाल, घुड़दौड़ी, डांडापानी, कठुड़, गैर, नवन, कांडाधार, देवलधार होते हुए लक्ष्मण मंदिर देवल पहुंचेंगे।
24 नवंबर को लक्ष्मण मंदिर देवल में दर्शन और पूजा अर्चना के बाद से यात्रा शुरू होगी। दोपहर 12 बजे ग्राम कोरसाड़ा पौड़ी में सीता माता सर्किट यात्रा स्वागत समारोह में प्रतिभाग करेंगे। वहां से वाद्य यंत्रों व दोण कंडी के साथ वाल्मिकी मंदिर आश्रम होते हुए सीता माता समाधि स्थल में आयोजित मंसार मेले में भाग लेंगे। सीता माता मंदिर में दर्शन और पूजा के साथ यह यात्रा समाप्त होगी।
त्रिवेंद्र ने कहा कि एक ओर जहां अयोध्या में जनवरी में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, वहीं माता सीता सर्किट को भी विश्व मानचित्र पर लाने की जरूरत है। इसमें सभी का सहयोग जरूरी है।