पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त की पीड़ा
देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की गैरसैंण को इस नए प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग 23 साल बाद भी अधूरी है। लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने के कदम को राज्य आंदोलनकारियों के सपनों के साकार होने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा था। इसके कारण इस घोषणा से राज्य आंदोलनकारियों में काफी उत्साह दिख रहा था, पर अब वह भी फीका पड़ने लगा है। वजह, गैरसैंण बस नाम मात्र की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनकर रह गई। विकास के नाम पर अभी गैरसैंण और आसपास का क्षेत्र अभी कोसों दूर है। यही पीड़ा पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंणवासियों के सामने व्यक्त की।
गैरसैंण भराड़ीसैंण में राज्य विधानसभा के बजट सत्र में 4 मार्च, 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा मंडप में अपना भाषण खत्म करते ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था। यही नहीं तत्काल इसकी अधिसूचना भी जारी करवा दी। इसके बाद गैरसैंण और आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए 25 हजार करोड़ की योजनाओं की भी घोषणा की थी। इसका राज्य आंदोलनकारियों ने ही नहीं बल्कि प्रदेश के हर नागरिक ने स्वागत किया और उम्मीद जगी कि पहाड़ों का अब विकास हो सकेगा।
पहाड़ों के विकास और गढ़वाल-कुमाऊं के बीच सदियों से पटी खाई को पाटने के लिए उन्होंने एक नई कमिश्नरी की भी घोषणा की थी। लेकिन दुर्भाग्य से पार्टी आलाकमान ने उन्हें तत्काल बिना देरी किए मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी पार्टी आलाकमान का आदेश मिलते ही बिना देरी किए अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि किसी को पता नहीं कि किस वजह से त्रिवेंद्र को हटाया गया। कोई कहने लगा कमिश्नरी घोषित किए जाने से पार्टी आलाकमान नाराज था, कोई कहता गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी भी मुख्यमंत्री ने बिना पार्टी आलाकमान के संज्ञान में लाए घोषित कर दी। इसके बाद से पार्टी तत्कालीन सीएम से खफा चल रही थी।
इसी वजह से राज्य के लोगों के मन में गैरसैंण को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। लोगों का मानना है कि जब गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की अधिसूचना जारी हो गई तो क्या कारण है कि वहां विकास के काम ठप हैं। यही नहीं विकास के लिए जो घोषणाएं पूर्व सीएम ने की थी, वह भी आज नजर नहीं आ रही हैं। इसी दर्द को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी महसूस किया और गैरसैंण में आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण ही नहीं आसपास के क्षेत्र के विकास पर अपनी बात दिल खोलकर कर वहीं की जनता के बीच कही। वो सवाल भी उठाए जो जनता के मन में हैं। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि गैरसैंण को लेकर जितना वो कर सकते थे, उन्होंने किया। लेकिन भविष्य के लिए उनकी जो योजना थी, उस पर काम नहीं हो पा रहा है।
गैरसैंण के प्रति अपनी पीड़ा को जाहिर करते हुए त्रिवेंद्र ने कहा कि गैरसैंण के लिए उनके भाग्य में शायद इतना ही करना लिखा था, लेकिन विश्वास दिलाया कि आगे मौका मिला तो वह जरूर उन सभी कामों को करेंगे, जो अधूरे रह गए हैं। त्रिवेंद्र के इस बयान का राजनीतिक लोग यही मतलब निकाल रहे हैं कि गैरसैंण और आसपास के क्षेत्र के विकास को लेकर जो शुरुआत उनके कार्यकाल में की गई थी, उस पर अब उन्हीं की सरकार में अनदेखी होने लगी है। त्रिवेंद्र ने कहा कि उनके द्वारा जो कार्य शुरु किए गए थे, वह अभी अधूरे हैं। त्रिवेंद्र ने दोबारा मौका मिलने की बात कहकर ये विश्वास भी दिलाया कि यदि पार्टी आलाकमान उन्हें इस क्षेत्र के विकास करने का कोई भी मौका देती है तो वह उन अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे।
गैरसैंण के मेहलचौरी में कार्यक्रम में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण की जनता को जगाने का भी काम किया। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र की जनता जनप्रतिनिधि के साथ हो उस क्षेत्र की कोई अनदेखी नहीं कर सकता। इसके बहाने उन्होंने क्षेत्र की जनता को गैरसैंण के विकास के लिए आवाज बुलंद करने का भी इशारा दिया। इसलिए उन्होंने क्षेत्रीय जनता से कहा कि गैरसैंण कभी गैर नहीं हो सकता।
त्रिवेंद्र रावत ने यह भी कहा कि गैरसैंण में उन्होंने अच्छा बीज बोया है तो फल भी अच्छा ही मिलेगा। त्रिवेंद्र रावत ने गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने का भी जिक्र किया। हालांकि अब यह फैसला सरकार ने वापस ले लिया है। इसकी पीड़ा भी उनके मन में थी। त्रिवेंद्र ने कहा कि गैरसैंण कमिश्नरी होती तो एक आईएएस अफसर वहां नियमित तौर पर बैठता। उनके साथ कई और अधिकारी भी यहीं बैठते। इससे भी यहां पर विकास का काम आगे बढ़ता।